दोस्तों भारत में अकबर एवं बीरबल की कहानियाँ बहोत ही प्रचलित है. इतिहास में बहोत सी हस्याश्पद एवं ज्ञानवर्धक कहानियाँ प्रचलित है जिससे बीरबल के व्यक्तित्व्य एवं ज्ञान का एहसास होता है. इस आर्टिकल में हम कुछ ऐसी ही कहानियों का अवलोकन करेंगे.
दोस्तों आपने स्कूल में बहोत से अकबर बीरबल स्टोरीज हिंदी भाषा में पढ़ी होंगी, अकबर बीरबल की कहानियों से हमें प्रेरणा भी मिलती है.
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पढ़िए विभिन्न अकबर बीरबल की कहानियाँ
एक बार की बात है जहापना अकबर ने अपने नगर में घोषणा की कि जो व्यक्ति ठंडी के मौसम में नदी के पानी में पूरी रात खड़ा रहेगा उसे वह कुछ बड़ा उपहार देंगे.
यह घोषणा सुन कर नगर के एक धोबी ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने का निर्णय किआ ताकि उपहार के पैसो से उसे उसकी आजीविका चलाने में मदद मिल सके.
धोबी ने घोषित हुए नियमों के अनुसार सारी रात घुटनों के बराबर नदी के पानी में खड़ा हो कर गुज़ारा और फिर उसके बाद वह अगले दिन बादशाह अकबर के दरबार में अपना पुरष्कार लेने पंहुचा!
बादशाह अकबर ने धोबी से पूंछा “तुमने सारी रात नदी के पानी में गुजारा इसका क्या सबूत है और तुम पूरी रात क्या कर रहे थे?”
गरीब धोबी ने जवाब दिया की “महाराज मै पूरी रात महल में जल रहे दीपक को देख रहा था और इस तरह मैंने पूरी रात जागते हुए नदी के ठन्डे पानी में गुज़ार दी”
यह सुनकर जलालुद्दीन अकबर ने कहा कि इसका मतलब तुम सारी रात महल के चिराग की गर्मी ले रहे थे जिसके सहारे तुमने नदी के ठन्डे पानी में पूरी रात गुजारी? और यह कहते हुए अकबर ने गरीब धोबी को पुरस्कार देने से इंकार कर दिया. और धोबी को जेल में बंद करवा दिया
जब यह वाकया घटित हुआ उस समय बीरबल भी वहां मौजूद थे और उन्होंने गरीब धोबी को इंसाफ दिलाने का फैसला. अगले दिन जब सभा लगी तो बीरबल उसमे उपस्थित नहीं हुए अकबर ने अपने खादिम को उन्हें लाने के लिए भेजा| खादिम ने लौटकर जवाब दिया की “बीरबल अभी खिचड़ी पका रहे है वेह जब पाक जाएगी तो उसे खा कर आयेंगे”
बीरबल अगले दिन भी नहीं आये और उन्होंने पुनः अपने खादिम को उन्हें लाने के लिए भेजा और इस बार भी खादिम ने वही जवाब दिया| देखते ही देखते एक हफ्ता बीत गया परन्तु बीरबल की खिचड़ी नहीं पकी. अंततः शहनशाह अकबर ने खुद बीरबल के घर जाकर देखने का फैसला किआ की आखिर बीरबल कौन से खिचड़ी पका रहे है जो अभी तक नहीं पकी.
जब अकबर बीरबल के घर पहुचे तो उन्होंने देखा कि बीरबल ने उस बर्तन जिसमे वह खिचड़ी पका रहे है उसे लग्गी के सहारे आग से काफी ऊपर लटका रखा है. इसे देखकर अकबर ने कहा अरे मूर्ख ये खिचड़ी भला कैसे पकेगी जब तुमने इस इतना ऊपर लटका रखा है. इस पर बीरबल ने जवाब दिया महाराज उसी प्रकार जिस प्रकार धोबी आपके महल के दिए से रात भर नदी में खड़ा होकर सेंक रहा था. यह सुनते ही अकबर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने तुरंत गरीब धोबी को बरी करने और उसे पुरस्कार देने का फैसला किआ.
एक बार की बात है नगर में एक व्यक्ति पशु, पक्षी एवं जानवरों का व्यापार किआ करता था एक दिन उसे एक तोता मिला जो की बहोत समझदार था, उस तोते के अन्दर भविष्य जानने का भी ज्ञान था एक दिन व्यापारी ने उस तोते को शहंशाह अकबर को बेंच दिया अकबर ने भी उस तोते की खाशियतों को देखते हुए तुरंत खरीद लिया.
तोते को खरीदने के पश्चात् अकबर ने तोते की पूरी जिम्मेदारी प्रहरी को दे दी और कहा की इस तोते का पूरा ख्याल रखना और यह किसी भी कीमत में मरना नहीं चाहिए और अगर यह मारा तो मै उसे भी मार दूंगा जो मुझे इस तोते के मरने की जानकारी देगा.
मरता क्या न करता प्रहरी उस तोते को अपने साथ ले आया और उसकी पूरी देखभाल करने लगा पर एक दिन वह तोता अचानक से मर गया. प्रहरी बहोत ही घबरा गया और दौड़ा दौड़ा बीरबल के पास गया और उन्हें सारा वाकया बताया, बीरबल ने प्रहरी को निश्चिन्त रहने के लिए कहा और कहा की मै सब संभाल लूँगा.
इसके उपरांत बीरबल अकबर के पास गए और उन से कहा – “आपका तोता तो” और चुप हो गए.
यह सुनकर अकबर बोले क्या हुआ मेरे तोते को कही वह मर तो नहीं गया.
बीरबल ने जवाब दिया “पता नहीं महाराज आप का तोता न तो कुछ खा रहा है, न पी रहा है, न हिल रहा है, न देख रहा है, न आँख खोल रहा है” पता नहीं उसे क्या हो गया है.
अकबर ने कहा की चलो चल कर देखते है. पिंजड़े के पास पहोचने के बाद अकबर ने कहा की यह तो मर गया है क्या तुम मुझे यह पहले नहीं बता सकते थे.
बीरबल ने बड़े ही चतुराई से उत्तर दिया की अगर मै ऐसा कहता तो आप मुझे मार डालते. इस पर अकबर ने कहा की शायद इसी वजह से वह प्रहरी भी नहीं दिखाई दे रहा है जिसे मैंने इसके जिम्मेदार सौंपी थी.
बीरबल ने जवाब दिया महाराज वह तो निर्दोष है तोता तो अपने मौत से मरा है.
बादशाह ने उस रखवाले को माफ़ कर दिया और उसे वापस काम पर आने के लिए कहा.
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एक बार अकबर एवं बीरबल नदी के किनारे टहल रहे थे वहां पर उन दोनों ने कुछ मछुआरों को मछली पकड़ते हुए देखा और उन्हें देखकर बादशाह अकबर को भी मछली पकड़ने का मन करने लगा और वे भी नदी में काँटा डालकर बैठ गए.
इसी बीच बादशाह ने बीरबल को अपने बेगम के पास कुछ संदेश पहुचाने के लिए कहा. बीरबल महल की तरफ चल पड़े.
महल में पहोचने के बाद बीरबल ने बादशाह की बेगम को संदेश दिया और जब वे वहां से वापस आने लगे तो बेगम में उनसे पूंछा की बादशाह अकबर कहाँ पर है?
बीरबल ने जवाब दिया “झख मार रहे है”
और वहां से चलते बने, जब बादशाह अकबर अपने महल वापस पहुचे तो उनकी बेगम में उनसे इसके बार में उनसे बताया की जब मैंने बीरबल से आप के बारे में पुछा तो उन्होंने हमे कहा की आप झख मार रहे है. इतना सुनते ही बादशाह अकबर गुस्से में आ गए और अपने सिपाहियों को बीरबल को पकड़ कर लाने के लिए कहा.
जब सिपाही बीरबल को लेकर महल वापस आ गए तो अकबर ने बीरबल से पूंछा की क्या तुमने मेरे बारे में ऐसा कहा था?
इसके प्रति उत्तर में बीरबल ने कहा हाँ मैंने ऐसा ही कहा था और इसमे बुराई ही क्या है. संस्कृत भाषा में मछली को झख ही कहा जाता है. और अगर संस्कृत भाषा का प्रयोग करने के लिए आप मुझे कोई दंड देना चाहते है तो दे सकते है.
यह सुनकर बादशाह अकबर और उनकी बेगम एवं समस्त दरबारी हँसने लगे.
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तो दोस्तों यह थी कुछ Akbar Birbal stories in Hindi समय के साथ साथ हम इसमे और भी कहानियों को जोड़ते रहेंगे, इसके अलावा अगर आप के पास भी कोई दिलचस्प कहानी है akbar birbal stories in hindi language से सम्बंधित तो आप उसे नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में लिख सकते है और अगर वह कहानी अच्छी हुई तो हम उसे यहाँ पर प्रकाशित करेंगे. धन्यवाद
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